संजीव-नी। आंखों ही आंखों में मुस्कुरा देना तुम।
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By Admin
Published - 21 April 2023 148 views
संजीव-नी।
आंखों ही आंखों में मुस्कुरा देना तुम।
हर एहसास दिल में न दबा देना तुम,
होठों से जरा तिरछा मुस्कुरा देना तुमl
ये तो दिल की लगी है, न घबराना,
आंखों ही आंखों में मुस्कुरा देना तुम।
नया नया रूप है तुम्हारे जीवन का,
न सम्भले तो बहक न जाना तुम।
आ जाओ जरा सूरज की रोशनी में,
भले रातों में चांदनी सा बन जाना तुम,
रातों के टिमटिमाते जुगनू हैं हम,
हमें राह दिखाता सितारा बन जाना तुम।
हमे देख छुपने की अदा बड़ी प्यारी,
सामने आओ तो,पलकें झुका देना तुम।
जज्बातो के एहसास पुराने हमारे,
दुनिया के लब्जों से टूट न जाना तुम।
कोशिशों से कई,दीदार होता है तेरा संजीव,
बीच राहों में अकेला,न छोड़ जाना तुम।
संजीव ठाकुर कवि
चौबे कॉलोनी रायपुर
62 664 19992, 9009 415415wts
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