मथुरा के लोक कलाकारों ने पेश की अमर शहीद राजा नाहर सिंह की गाथा
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By संजीव डे
Published - 21 December 2021 433 views
लखनऊ: 21दिसम्बर। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी (संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश) की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव एवं चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव के अंतर्गत अमृत रंग उत्सव के समापन पर मथुरा के लोक कलाकारों पारंपरिक नौटंकी में अमर शहीद राजा नाहर सिंह की प्रभावी प्रस्तुति की। नौंटकी के लेखक व निर्देशक डॉ खेमचंद यदुवंशी थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकायुक्त जस्टिस एससी वर्मा, आईएएस पवन कुमार, पूर्व अध्यक्ष संगीत नाटक अकादमी डॉ पूर्णिमा पांडेय, संगीत नाटक अकादमी के सचिव तरुण राज ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। अतिथियों ने कलाकारों को सम्मानित भी किया। कलाकारों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर कलाकारों ने बल्लभगढ़ की रियासत के राजा नाहर सिंह की अमर गाथा सुनाकर लोगों में देशभक्ति का जोश भर दिया। कलाकारों ने आजादी के दीवाने वल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह के त्याग बलिदान को दिखाया।
नौटंकी की शुरुआत 30 मई 1857 में मथुरा छावनी के 11वीं नेटिव इन्फेंट्री बटालियन के सूबेदार हीरा सिंह से होती है। हीरा सिंह के पास जब जल्दी ही छावनी लौटने का परवाना पहुंचता तो उनकी पत्नी अनारो उन्हें रोकती हैं। लेकिन हीरा सिंह मेरठ से फूटी क्रांति की ज्वाला के बारे में बताते हुए सैन्य यूनिट से आये परवाने को दिखाते हैं। आगे चर्बीयुक्त कारतूस बांटने को लेकर सूबेदार हीरा सिंह का अपने उच्चाधिकारी मेज़र पीएचसी बर्टलन से भिड़ जाते हैं। हीरा सिंह उसे गोली मार कर जेल में बंद सिपाहियों को आजाद करा लेते हैं। हीरा सिंह जिलाधीश थार्नाहिल का आगरा भेजा जा रहा सरकारी खजाना लूटकर राजा नाहर सिंह को सौंप देते हैं। तो आगरा से फिरंगियों की सेना सूबेदार हीरा सिंह का पीछा करते हुए वल्लभगढ़ में हमला कर देती है, जहां वह हार जाते हैं।
राजा नाहर सिंह ने काफी बहादुरी से ब्रिटिश सैनिकों का जमकर मुकाबला किया। दक्षिण हरियाणा की तरफ से उन्होंने दिल्ली की भी रक्षा की और अंग्रेजी सेना को हराया। अंग्रेजी सेना राजा नाहर सिंह के पराक्रम से परेशान षडयंत्र करती है। अंग्रेजों ने राजा नाहर सिंह को संधि के बहाने बुलाकर कहा कि हम आपकी मौजूदगी में बहादुर शाह जफर से संधि करना चाहते हैं।जब ब्रिटिश सैनिकों ने धोखे से किया हमला
जब नाहर सिंह पांच हजार सैनिकों के साथ दिल्ली पहुंचते हैं, तो मेजर हॉडसन ने उनका भव्य स्वागत किया। लेकिन रात में सोते समय उन पर धोखे से उन पर आक्रमण कर दिया। जिसमें नाहर सिंह, उनके गुप्तचर व सेनापति को गिरफ्तार कर बाकी सबको मौत के घाट उतार दिया। गिरफ्तारी के बाद नाहर सिंह पर सरकारी खजाना लूटने व ब्रिटिश सेना के खिलाफ बगावत करने का इलाहाबाद में मुकदमा चला, नाहर सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। 9 जनवरी 1857 में राजा नाहर सिंह को महज 36 साल की उम्र में चांदनी चौक में फांसी दे दी गई। उनके सेनापति गुलाब सिंह सैनी और मुखबिर भूरा सिंह को भी फांसी की सजा हुई।
नौटंकी के लेखक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ खेमचंद यदुवंशी ने प्रस्तुति के लेखन व निर्देशन के अलावा रंगाचार्य व मेजर हॉडसन की प्रभावी भूमिका भी निभाई। मास्टर पुत्तन लाल हाथरसी ने राजा नाहर सिंह का, लता रानी ने रानी किशन कौर व आनारो, निरंजन सिंह ने सूबेदार हीरा सिंह, हारमोनियम पर वासुदेव नागर, नक्कारा पर इब्राहिम खान, ढोलक पर मुकेश सहित मंच पर कुल 20 कलाकारों ने प्रभावी अभिनय से दर्शकों की प्रशंसा पाई। कार्यक्रम प्रबंधक नवीन श्रीवास्तव के संयोजन में हुए कार्यक्रम का संचालन नवल शुक्ल ने किया।
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