हरतालिका तीज का महत्व
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By Admin
Published - 10 September 2021 465 views
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है इसमें सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत करती हैं यह त्यौहार सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है इस दिन सभी सुहागिन स्त्रियां निर्जल और निराहार रहकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं इस व्रत को कुंवारी कन्याये भी रखती हैं अच्छे और सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए.....
इस बार हरतालिका तीज 9 सितंबर 2021 को मनाई जा रही है
कई जगहों पर हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव माता पार्वती और गणेश जी की कच्ची मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है इस मूर्ति की विधि विधान से पूजा की जाती है यह व्रत निर्जला होता है सुबह से शाम तक सारी सुहागिन स्त्रियां निराजल रहती है शाम को नहा धोकर सुहागिनों की तरह तैयार होती हैं फिर वह मंदिर जाती हैं या घर में ही भगवान शिव और पार्वती की कथा सुनती और सुनाती हैं और सुहाग की सामग्री चढ़ाती हैं हाथों में मेहंदी पैरों में महावर, मांग में पीला सिंदूर भरा होता है मंदिर से लौटकर व अपने पति की आरती उतारती हैं, उसके बाद उनके पैरों को छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैंऔर अपना व्रत करती हैं,
पहले के समय में स्त्रियां रात भर जग कर नित्य गान और ढोल मजीरे बजाया करती थी, पर अब इसका स्वरूप बदल गया है।
अब इस व्रत को कुछ सुहागिन स्त्रियां फलाहार करके भी करती हैं और घर में ही पूजा करके अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।
व्रत का पारण अगले दिन चतुर्थी तिथि में किया जाता है व्रत रखने वाली सभी स्त्रियों को हरतालिका तीज की कथा जरूर सुननी चाहिए....। एक बार इस व्रत को शुरू करने के बाद जीवन भर इस व्रत को नियमित रूप से जरूर रखना चाहिए..।
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल यानी सायकाल में ही करनी शुभ मानी जाती है. इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है....। यह व्रत भगवान शिव ने माता पार्वती को रखने को बोला था।
हरतालिका तीज में पूजन व्रत की सामग्री:-
सुहाग का पिटारा तैयार किया जाता है इसमें चूड़ी,सिंदूर,बिंदी,आलता, काजल, नेल पॉलिश,मेहंदी, बिछुआ,पायल, साड़ी....।
इसके अलावा तुलसी का पत्ता,केले का पत्ता, आक के फूल, आम का पत्ता,मंजरी, शमी पत्र,जनेऊ, वस्त्र, मिठाई,फूल, कुमकुम, चंदन, घी,दीपक, नारियल, और भी जितने प्रकार के फल फूल इस मौसम में मिलते हैं सभी भगवान शिव को चढ़ते हैं.।
दान का महत्व:-
दूसरे दिन नहा धोकर सभी स्त्रियां दान के लिए सुहाग की सामग्री,और (सिद्धा )यानी आटा, दाल, चावल, सब्जी, पैसे, कपड़े, सोना चांदी, अपनी श्रद्धा अनुसार छूकर पंडित को दान देती हैं....। दान देना पंडितों को शुभ माना जाता है
........ साधना सिंह स्वप्निल.....
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