दिवारी का पारंपरिक लोक नृत्य देखकर लोग हुए मंत्र मुग्ध
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By Arun Kumar Dwivedi
Published - 02 November 2024 52 views
संवाददाता /अरूण कुमार द्विवेदी
कोटरा/ बुंदेलखंड के प्रसिद्ध नृत्य दिवारी की यह परंपरा बहुत प्राचीन है यह दिवारी नृत्य बुंदेलों की शौर्य एवं वीरता का प्रतीक है इतिहासकारों का मानना है कि चंदेल शासन काल में शुरू हुई इस अनूठी लोक विद्या का मकसद था कि घर-घर में वीर सपूत तैयार किया जा सके और वह बुराई और दुश्मनों के खिलाफ लड़ सके इस नृत्य का अभ्यास दीपावली के कुछ दिन पहले से ही गांव-गांव में लोग टोलिया बनाकर दिवारी खेलने का अभ्यास करने लगते हैं जो भाई बहन के अटूट स्नेह का पर्व भैया दूज तक चलता है उसके बाद दोहा व लोकगीतों के साथ दिवारी नृत्य की शुरुआत होती है कार्तिक के पवित्र माह में हर तरफ इस लोक विधा की धूम मची रहती है ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह परंपरा जीवंत है आज भी इस विद्या का खासा प्रचलन है इसी के तहत आज नगर कोटरा में भी दिवारी नृत्य के कलाकारों द्वारा लोगों के घर-घर जाकर दिवारी नृत्य के साथ दिवारी खेली गई जो ढोलक की विशेष थाप उस पर दिवारी गायको की मधुर तान लोगों को नाचने पर मजबूर कर रही थी दिवारी नृत्य करने वाले लोग चमकीले पीले वस्त्र पहने थे और आपस में लाठियां भाँजते हुए ढोलक की थाप पर नाच रहे थे जो दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर रहे थे दिवारी नृत्य के कलाकारों में कोमल सिंह यादव चंद्रभान सिंह यादव राजेश सिंह यादव सहित कई कलाकार उपस्थित रहे
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