“नमन” कथक समारोह में हुई जयपुर, वाराणसी दिल्ली और लखनऊ की प्रस्तुतियां
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By संजीव डे
Published - 01 September 2023 500 views
लखनऊ, १सितम्बर २३ । उत्तर प्रदेश नाटक अकादमी और कथक केन्द्र की ओर से सुविख्यात कथकाचार्य पं.लच्छू महाराज की स्मृति में कथक के लास्य अंग पर आधारित दो दिवसीय “नमन” कथक समारोह, दिनांक 31 अगस्त और 1 सितम्बर को गोमती नगर स्थित संत गाडगे ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। इसकी दूसरी संध्या पर शुक्रवार को आमंत्रित अतिथि ब्रिगेडियर नवदीप सिंह और पूर्व डीजीपी ए.एल. बनर्जी ने पं.लच्छू महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद दीप प्रज्वलन किया। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निर्देशक तरुण राज ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया। इस अवसर पर जयपुर, वाराणसी, दिल्ली और लखनऊ की प्रभावी प्रस्तुतियां हुईं।
दिल्ली की शिंजनी कुलकर्णी ने एकल प्रस्तुति की शुरुआत शिव पार्वती वंदना “निरतत शंकर पार्वती संग” से की। पारंपरिक शुद्ध नृत्य के बाद उन्होंने पं.बिंदादीन महाराज रचित लोकप्रिय दादरा “बिहारी को अपने बस कर पाऊं” पर प्रभावी भावों का प्रदर्शन कर प्रशंसा हासिल की।
वाराणसी के सौरव-गौरव मिश्र ने सबसे पहले “आदिशम्भु स्वरूप मुनिवर” पर नृत्य कर शिव स्तुति की। उसके उपरांत उन्होंने पारंपरिक कथक के अंतर्गत लखनवी और बनारसी बंदिशें सशक्त रूप में पेश की। भाव, उठान और आमद के बाद उन्होंने चंचल, शर्मीली और घमंडी नायिकाओं की “गत” नृत्य के माध्यम से दर्शा कर तालियां अर्जित की। अंत में उन्होंने मशहूर दादरा “दीवाना किये श्याम क्या जादू डाला, इस गलियन में आना-जाना हम से न करना बहाना” पर सुंदर भावों का प्रदर्शन किया।
जयपुर से आईं कथक नृत्यांगना देविका एस. मंगलामुखी ने कथक चर्चा और भाव की प्रस्तुति दी। उसमें उन्होंने पारंपरिक कथक के तहत तीन ताल की प्रस्तुतियां दी। थाट आमद के बाद उन्होंने कजरी “बरसो कारी बदरवा रूम झूम के” पर उन्होंने मनोहारी भाव दर्शाएं। उन्होंने खासतौर से बैठकी के भाव पेश कर अपनी नृत्यांजलि अर्पित की।
स्थानीय कथक नृत्यांगना डॉ.सुरभि शुक्ला के निर्देशन में “नायिका” नृत्य प्रस्तुति हुई। उसमें अष्ट नायिका के अंतर्गत वासकसज्जा, अभिसारिका, खंडिता, उतकंठिता, विप्रलब्धा, काल्हान्तरिता, प्रोषितपतिका और स्वाधीन पतिका का रूप ठुमरियों के माध्यम से प्रभावी रूप से पेश किया गया। उसमें ठुमरी “जिहि बनिता की सुघरता”, “मालती गुथाए”, “बैठी सोचे वृषभान”, “वही जाओ जाओ बालम”, “पलक मूंदि राखू मोरे सैया”, “लोचन रतनारे नयना कजरारे अष्टनायिका अठखेली कर रसिक मन रिझावत हैं” पर पेश सुंदर भाव देखते ही बने। इसमें डॉ.सुरभि शुक्ला, वैशाली श्रीवास्तव, रश्मि पाण्डे, शताक्षी मिस्रा, सेजल विश्वकर्मा और समृद्धि मिश्रा ने इसमें भाग लिया। इसमें संगीत और गायन कमलाकान्त, तबला और पढंत डॉ.राजीव शुक्ला, सितार डॉ.नवीन मिश्रा, बांसुरी दीपेन्द्र कुँवर ने स्वरित की। मुखसज्जा शहीर और प्रकाश परिकल्पना गोविन्द यादव की प्रस्तुति के अनुरूप रही।
लखनऊ कथक केन्द्र की प्रस्तुति कथक संरचनाएं में कथक प्रशिक्षिका श्रुति शर्मा के निर्देशन में कथक केन्द्र की छात्राओं ने “गोरी करत श्रंगार” और “तुम संग लागी मोरी नजरिया” पर सुंदर नृत्य किया। इसमें प्रियम, ऐशनी, गौरी, सानवी, विदुषी, मौसम, सुनिष्का, शताक्षी, मेधा, वैभवी, तनु, दीप्ति, भव्या, गौरांगी, सृष्टि रिया, रुचि और एकता ने भाग लिया। इसमें संगीत निर्देशन और गायन कमलाकान्त ने किया वहीं तबला और पढन्त पी मुखर्जी और डॉ.राजीव शुक्ला, सितार पर डॉ.नवीन मिश्रा, बाँसुरी पर दीपेन्द्र कुँवर ने संगत दी। रूपसज्जा मो.शहीर और सचिन ने की।
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