डॉ0 लोहिया और गोवा की आजादी गोवा में समाजवादियों की संभावना - राजेन्द्र चौधरी
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By Admin
Published - 31 December 2023 94 views
गोवा की चर्चा छिड़ते ही लोगों के दिल-दिमाग में वहां समुद्र किनारे धूप तापते सैलानियों की भीड़-भाड़ के नजारे बसे दिखते हैं जबकि गोवा में गोवा मुक्ति आंदोलन के स्मृति स्थलों के अलावा जनजीवन में घुलीमिली संस्कृति की भी झलकियां आकर्षित करती हैं।
गोवा से समाजवादियों का पुराना सम्बंध रहा है। लोहिया जी ने आजादी की जो अलख जगाई थी उसी का परिणाम है कि आज गोवा स्वतंत्र हैं। लोहिया मैदान समाजवादी आंदोलन के लिए प्रेरणादायक प्रतीक स्थल है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव लोहिया जी के उसी रास्ते पर चल रहे हैं जो अन्याय के प्रतिकार, लोकतंत्र को बचाने, वंचितों को अधिकार दिलाने का रास्ता है। समाजवादी पार्टी डॉ0 लोहिया की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी लगातार संविधान प्रदत्त अधिकारों को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। समाजवादियों का मानना है कि लम्बे स्वतंत्रता संग्राम के बाद जो आजादी मिली उसे उसी भावना के साथ सहेजे रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। लोकतंत्र मात्र अधिकार नही है बल्कि एक जिम्मेदारी भी है। जिसके अंतर्गत समतामूलक एवं शोषणविहीन समाज की जो कल्पना हमारे पुरखों ने की थी उसे पूरा करना है। इस दिशा में श्री अखिलेश यादव पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रहे हैं।
वास्को डी गामा, भारत की धरती पर जिसने पहला पैर रखा था, उसका अन्तिम संस्कार भी इसी धरती पर हुआ। उसकी मृत्यु के बाद उसका पार्थिव शरीर 14 साल बाद पुर्तगाल वापस ले जाया गया। इतिहास ऐसे ही अपने को दुहराता है। केरल की धरती से पुर्तगाली राज का प्रारम्भ हुआ था और उसका अंत गोवा, दमन, दीव की आजादी से हुआ।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने गोवा भ्रमण के क्रम में 16वीं शताब्दी में ऐतिहासिक स्मारक वायसराय आर्क भी देखा जिसका निर्माण पुर्तगालियों की गोवा जीत की स्मृति में बना। इसका निर्माण वायसराय फ्रांसिस्को दा गामा (वास्को डी गामा के परपोते) द्वारा किया गया। मंडोवी नदी के तट पर स्थित यह स्मारक पुराने गोवा का प्रवेश द्वार था। तोरणद्वार के मध्य में वास्को डी गामा की मूर्ति और किनारे तलवार लहराती एक महिला की मूर्ति है। वास्को डी गामा, केरल के कालीकट तट पर पहुंचने वाले प्रथम पुर्तगाली नाविक थे। फिर यहां आए पुर्तगाली सैनिक और उनका राज गोवा दमन दीव तक फैल गया। यह राज अगली साढ़े चार सदियों तक चला।
श्री अखिलेश यादव के निर्देश पर 19 दिसम्बर 2023 को गोवा में मनाए जाने वाले गोवा मुक्ति दिवस के विविध आयोजनों में 18 से 22 दिसम्बर 2023 तक उ0प्र0 के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी शामिल हुए। गोवा में 1961 से ही 15 अगस्त, 26 जनवरी, 18 जून और 19 दिसम्बर के दिन सरकारी अवकाश होता है।
गोवा में हर वर्ष 19 दिसम्बर को गोवा लिबरेशन डे मनाया जाता है। इस वर्ष उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। इस आयोजन में समाजवादी पार्टी के एमएलसी जासमीर अंसारी, शैक्षिक सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मणेंद्र मिश्र ‘मशाल,‘ उ0प्र0 के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के पूर्व ओएसडी आशीष यादव ‘सोनू‘ भी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में शामिल रहे।
१८ दिसम्बर 2023 को गोवा के डबलिन एयरपोर्ट से चलने पर रास्ते में सड़क के दोनों तरफ पुर्तगाली शैली के बने घर दिख रहे थे। गंतव्य स्थल के पहले मंगेसी गांव से हम लोग गुजरे जो भारतरत्न लता मंगेशकर का पैतृक गांव मंगेश है।
एक घंटे की यात्रा के बाद सड़क मार्ग से फोण्डा के निकट कुंडई गाँव स्थित पीसफुल सोसायटी (गांधीवादी केन्द्र) के हर्बल गार्डन के विश्राम गृह में पहुंचे, वहां हमारे रूकने की व्यवस्था थी। विश्राम गृह के सभी कमरें भारत की विभिन्न नदियों के नाम पर हैं। पीसफुल सोसायटी का पूरा प्रांगण विभिन्न औषधीय वनस्पतियों, देश-विदेश के अनेक प्रजाति के पेड़-पौधों से समृद्ध है। यह केंद्र गांव के मध्य में स्थित है जिसके पड़ोस में भगवान गणेश, मां दुर्गा, साईं मंदिर, गुरूद्वारा, चर्च से घंटियों के साथ गुरवाणी एवं प्रार्थना की आवाजे आती रहती है।
गोवा में सुबह के समय 6.30 के बाद ही उजाला होता है। ब्रेड और जरूरी खाने की वस्तुएं लेकर एक फेरीवाला जो साइकिल पर भोंपू बजाते हुए घरों के सामने से निकलता है। गोवा शैली में अमूमन घरों के सामने पूरा खुला और मुख्य भवन के चारों ओर खाली स्थान रहता है। गांवों में सामूहिकता की भावना प्रबल है। दैनिक जीवन में लोग एक दूसरे के सहयोगी हैं। क्रिसमस पर ईसाई समुदाय के लोग जहां अपने घरों को स्टार और झालर लाइट से सजा रहे थे वहीं हिन्दू परिवारों में नवदुर्गा प्रतिमा की पालकी को लेकर हलचल थी।
गोवा लिबरेशन डे के अवसर पर 19 दिसंबर को पीसफुल सोसायटी के हर्बल गार्डन में राष्ट्रीय ध्वज का राजेन्द्र चौधरी ने ध्वजारोहण किया। उन्होंने अपने संबोधन में गोवा की आजादी में डॉ0 राममनोहर लोहिया के योगदान, स्वतन्त्रता आन्दोलन के मूल्य, लोकतंत्र और संविधान के मौजूदा विमर्श की चर्चा किया। इस अवसर पर कुमार कलानन्द मणि, भारती बांदोडकर, अंजली नाईक, विराज नाईक, दुर्गादास गावड़े, कनिक लाल, दिनेश नाईक, जितेंद्र नाईक, कमला देवी, अनीता देवी, भाव्याश्री, नीरज कुमार सहित अन्य स्थानीय प्रमुख लोगों की उपस्थिति रही।
पुर्तगाल सरकार के खिलाफ जनांदोलन के आव्हान पर समाजवादी नेता डॉ0 राममनोहर लोहिया को दक्षिण गोवा में मरगाओ सेंट्रल स्क्वायर से 18 जून 1946 को गिरफ्तार कर अगोडा जेल में बंद किया गया था। जेल में प्रवेश करते ही अगोडा जेल हेरिटेज ब्लॉक में जेल बंदी रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची में डॉ0 राममनोहर लोहिया का नाम भी अंकित है। जेल अवधि में डॉ0 लोहिया के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। असहनीय यातनाएं दी गई। जेल की दीवार से अरब सागर की लहरें टकराती है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की सरकार में खाद्य-रसद, राजनीतिक पेंशन एवं जेल विभाग के पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे राजेन्द्र चौधरी को गोवा मुक्ति दिवस पर गोवा स्वतंत्रता आंदोलन के महान शिल्पकार डॉ0 राममनोहर लोहिया की जेल म्यूजियम स्थित प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करने का सुअवसर मिला। जेल की जिस बैरिक में डॉ0 राममनोहर लोहिया को बंदी बनाकर रखा गया था वहां उनकी आदमकद प्रतिमा लगी है।
गोवा मुक्ति दिवस के अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों से काफी संख्या में लोग आए हुए थे। पर्यटकों में राम मनोहर लोहिया के विषय में जानने की बहुत उत्सुकता थी। गोवा मुक्ति दिवस के अवसर पर गोवा के कुंडई स्थित पीसफुल सोसायटी में ‘आजादी एक जिम्मेदारी‘ विषयक विचार गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि राजेन्द्र चौधरी ने संबोधित किया। उन्होंने गोवा को आजाद कराने में महान समाजवादी नेता डॉ0 राममनोहर लोहिया के महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा की। डॉ0 राममनोहर लोहिया ने गांधीवादी तरीके से गोवा के आम जनमानस में स्वतंत्रता की अलख जगाई, जिसका परिणाम गोवा से तानाशाही पुर्तगाली शासन के अंत के रूप में हुआ।
बतौर मुख्य अतिथि राजेन्द्र चौधरी ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को गोवा से समाजवादियों के 77 साल पुराने भावनात्मक सम्बन्धों की याद दिलाते हुए आश्वस्त किया कि श्री अखिलेश यादव का गोवावासियों के साथ जुड़ाव बना रहेगा। विचार गोष्ठी में कई वरिष्ठ पत्रकारों, सोशल एक्टिविस्ट, प्रोफेसर, बुद्धिजीवी एवं स्थानीय नागरिक शामिल हुए। उन्होंने सामूहिक रूप से मौजूदा परिस्थितियों के प्रति चिंता जाहिर किया। समाज में बढ़ रही सांप्रदायिकता एवं नफरत को रोकने के लिए एकजुट होने का संकल्प लिया। आयोजन में शामिल जागरूक लोगों ने सामूहिक रूप से गोवा की प्राचीन स्थानीय संस्कृति का अपमान करके एक ही विचार को थोपने के खिलाफ असहमति जताई और एकजुटता का आह्वान किया। श्री कुमार कलानंद मणि ने अपने संबोधन में गोवा की आजादी के संघर्ष में डॉ0 राममनोहर लोहिया, मधु लिमए जी, सहित अन्य समाजवादी नेताओं के संघर्ष को याद किया।
गोवा मुक्ति दिवस आयोजन समारोह के दौरान गोवा भ्रमण के क्रम में तीसरे दिन राजेन्द्र चौधरी द्वारा फोण्डा के मडकाई स्थित देवी नवदुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना कर सबके कल्याण के लिए प्रार्थना की गई। मंदिर प्रबंध समिति के सदस्यों ने देवी नवदुर्गा का चित्र, ध्वज पताका और नवदुर्गा मंदिर का वार्षिक कैलेंडर भेंट किया। मंदिर प्रबंध समिति के परेश तारी मोर्जेगकर, देवेंद्र मडिकायिकर, शैलेंद्र पंजीकर, सुदेश जालमी एवं हेमंत काडे प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
नवदुर्गा मंदिर 500 साल से भी अधिक प्राचीन है इसका जीर्णोद्धार 1603 में किया गया। मड़काई के नवदुर्गा मंदिर में पूजी जाने वाली इष्टदेवी दुर्गा का वह उग्र रूप हैं जिन्हें महिषासुरमर्दिनी के नाम से जाना जाता है। मंदिर में भगवान गणेश, बेताल, नारायण, गोपी कृष्ण, ग्रामपुरुष और रावलनाथ की भी पूजा की जाती है। प्रत्येक वर्ष नवंबर में यहां हजारों लोग दर्शन करने आते हैं।
राजेन्द्र चौधरी अपने साथियों के साथ गोवा की ऐतिहासिक मस्जिद देखने के लिए गये। पुरातात्विक स्थल फोण्डा स्थित 15 वीं ई0 में निर्मित साफा मस्जिद उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल से भी पुरानी है। इस मस्जिद का निर्माण ई0 1560 में इब्राहिम आदिलशाह द्वारा किया गया था। यह मस्जिद आयताकार है और इसमें बिना स्तंभों का एक प्रार्थना कक्ष है जो ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। मस्जिद का भीतरी और बाहरी भाग पर्सियन मेहराबों से घिरा है।है।
स्थानीय भ्रमण कार्यक्रम के दौरान राजेन्द्र चौधरी का गोवा के सबसे पुराने चर्च बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस भी जाना हुआ। इसे ओल्ड चर्च के नाम से जाना जाता है। बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस चर्च में सेंट फ्रांसिस जेवियर के अवशेषों को रखा गया हैं। यहां रखे अवशेष 400 सालो से सुरक्षित रखे हुए है और एक दशक में एक बार उन्हें निकाला जाता हैं। 1594 में इस चर्च का निर्माण किया गया और 1605 में इसे संरक्षित किया गया। यह यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व विरासत स्थल है।
गोवा यात्रा के चौथे दिन राजेन्द्र चौधरी ने गोवा के मडगांव स्थित लोहिया मैदान में डॉ0 राममनोहर लोहिया की आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनको नमन किया। लोहिया मैदान में प्रतिमा के समीप भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित शिलापट्ट, मनोहर राय सरदेसाई की कविता 18 जून और डॉ0 लोहिया मैदान के मंच का अवलोकन किया।
लोहिया मैदान में 18 जून क्रांतिदिन समिति के कोषाध्यक्ष गोवावासी श्री विनायक मोडेडकर ने 18 जून को मडगांव की सभा में डॉ0 राममनोहर लोहिया और गोवा के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी दुर्लभ जानकारियां साझा किया। श्री विनायक के पिता श्री मधुकर यशवंत मोडेडकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, उन्होंने डॉ0 लोहिया के साथ गोवा मुक्ति संग्राम में भी संघर्ष किया था। 18 जून क्रांतिदिन समिति के कार्यालय में संगठन के अध्यक्ष अविनाश शिरोडकर एवं पदाधिकारियों की ओर से उत्तर प्रदेश से आए अतिथियों का मोमेंटो, गोवा से जुड़ा लोहिया साहित्य भेंट किया।
मडगांव में पुराने समाजवादियों, पत्रकारों और स्थानीय लोगों से संवाद के क्रम में समाजवादी आंदोलन के महान नेता डॉ0 राममनोहर लोहिया के योगदान की विषेश रूप से चर्चा हुई। इसी क्रम में क्रांति दिन समिति के सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव को लोहिया मैदान में आगामी आयोजन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। ज्ञातव्य है कि पुर्तगालियों के 451 साल के शासन के खिलाफ लोहिया ने मडगांव के मैदान से ही हुंकार भरी थी।
पुर्तगाली शासन में 18 जून 1946 को लोहिया की गिरफ्तारी हुई। उसके बाद महात्मा गांधी ने अपने अखबार ‘हरिजन‘ में गोवा की आजादी के संघर्ष को केंद्र में रखकर लोहिया और मडगांव पर विस्तार से लिखा। इसी संघर्ष का परिणाम रहा कि 19 दिसंबर 1961 को गोवा स्वतंत्र हो गया। गोवा मुक्ति दिवस समारोह के पांच दिवसीय गोवा दौरे के अंतिम दिन राजेन्द्र चौधरी द्वारा गोवा विश्वविद्यालय और अन्य ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया गया।
राजेन्द्र चौधरी का गोवा विश्वविद्यालय में भी जाना हुआ, जहां विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ0 विपिन तिवारी ने राजेन्द्र चौधरी को यूनीवर्सिटी के कई विभाग, इंटरनेशनल हॉस्टल, स्पोर्ट्स स्टेडियम, सेंट्रल लाइब्रेरी दिखायी। विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों से संवाद के क्रम में गोवा में शिक्षा व्यवस्था के स्थिति की जानकारी ली गयी। प्रो0 विपिन तिवारी ने श्री अखिलेश यादव के लिए पुस्तकें भेंट किया।
राजेन्द्र चौधरी की स्मृति में 21 जून 2023 को श्री अखिलेश यादव के साथ केरल यात्रा की यादें जीवंत हो उठी। उस दौरान कोच्चि में 1503 में निर्मित सेंट फ्रांसिस चर्च की यात्रा कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण थी। इतिहास बताता है कि यूरोप से भारत तक के ऐतिहासिक समुद्री मार्ग की खोज करने वाले वास्को डी गामा पहले व्यक्ति थे जो 1498ई0 में कोझिकोड के पास उतरे थे। उन्हें सेंट फ्रांसिस चर्च के अंदर 1524ई0 में दफनाया गया था। चर्च के पादरी (Priest) पीटर ने श्री अखिलेश यादव का स्वागत किया और उन्हें चर्च के इतिहास की जानकारी दी थी। केरल भी अरब सागर के मुहाने पर है।
गोवा के विभिन्न प्राचीन एवं ऐतिहासिक महत्व के स्थलों के भ्रमण के दौरान सेन्ट पॉल कॉलेज के मुख्य द्वार के अवशेष, पंजिम के 18 जून रोड स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा सहित अन्य जगह भी हम लोग गए। कुमार कलानंद मणि ने राजेन्द्र चौधरी को गांधी सर्व इंडिया प्रकाशन की पुस्तक भेंट किया। गोवा की सुपरिचित सामाजिक कार्यकर्ता भारती बांदोडकर ने महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित स्वलिखित दो पुस्तकें तू गायत्री, तू गंगोत्री और हिरकणी भेंट किया।
गोवा मुक्ति दिवस आयोजन में यह पांच दिवसीय यात्रा समग्रता में मौजूद समाजवादियों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इससे जहां एक ओर समाजवादी विचारधारा का फैलाव हुआ वहीं तटीय क्षेत्र से उत्तर भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक जुड़ाव की डोर मजबूत हुई। समाज के विभिन्न वर्गों में श्री अखिलेश यादव और समाजवादी विचारधारा के प्रति जुड़ाव की उत्सुकता भी देखने को मिली।
राजेन्द्र चौधरी का मानना है कि गोवा की आजादी में डॉ0 राममनोहर लोहिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही। गोवावासियों के लिए लोहिया जी हीरो की तरह है। गोवा में घर घर और हर व्यक्ति की जुबान पर डॉ0 लोहिया की संघर्ष गाथा है। वहां के सभी लोग डॉ0 लोहिया की विचारधारा से बेहद प्रभावित है। गोवावासी अखिलेश यादव के राजनीतिक नेतृत्व में भविष्य की असीम सम्भावना देखते हैं।
प्रस्तुति-जासमीर अंसारी-सदस्य विधान परिषद उ0प्र0।
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