कथकाचार्य पं. लच्छू महाराज को शिष्या की शिष्याओं द्वारा भावांजलि
लखनऊ, 1 सितम्बर। संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह गोमतीनगर के मंच से आज बंकिम, बच्चन, मैथिलीशरण जैसे प्रख्यात कवियों की रचनाएं ओज स्वर-संगीत में बंधकर कथक की गतियों और भावों में राष्ट्रभावना जाग्रत कर गयीं। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी कथक केंद्र लखनऊ द्वारा संस्थापक निदेशक पं.लच्छू महाराज की जयंती पर उन्हें भावांजलि पेश की गयी। आजादी के अमृत महोत्सव आयोजन की कड़ियों के अंतर्गत कथकाचार्य की जन्मदिन पर कल की तरह आज फिर मातृभूमि और स्वतंत्रता सेनानियों और उनकी कुर्बानियों का स्मरण कथक संरंचनाओं में आनलाइन प्रस्तुत नमन कार्यक्रम में किया गया।
आज शाम कार्यक्रम से पहले कथक गुरु की प्रतिमा पर उनकी वरिष्ठ शिष्या डा.कुमकुम धर व अकादमी सचिव तरुण राज ने माल्यापर्ण किया। इस अवसर पर सचिव तरुण राज और पं.लच्छू महाराज की शिष्या डा.कुमकुम ने नृत्य गुरु की कुछ यादों को साझा कर उनका व्यक्तित्व सामने रखा। श्रुति शर्मा के नृत्य निर्देशन में अकादमी कथक केंद्र की छात्राओं ने कथकाचार्य की जयंती के दिन नमन की दूसरी संध्या का आरम्भ गुरु की वन्दना भरे श्लोक- मंत्र सत्यम पूजा सत्यम सत्यमेव निरंजनम् से शुरू रचना से की। इसी क्रम में मातृ वंदना के- शुद्ध सुंदर अति मनोहर..... जैसे शब्दों के साथ तीन ताल व धमार ताल में शुद्ध नृत्य का दिखाते हुए थाट, आमद, उठान, टुकड़े, बंदिश तिहाई, नटवरी, परमेलू, परन जुगलबंदी इत्यादि की आनलाइन प्रस्तुतियांं से कथक प्रेमियों को मोह लिया। यहां समवेत प्रतिभा दिखाने वाली केन्द्र की छात्राओं में प्रियम यादव, पाखी सिंह, आरोही श्रीवास्तव, अनंत शक्तिका, शिवांगी सिंह, सृष्टि प्रताप, विधि जोशी, मनीषा सिंह, ऐश्वर्या सिंह, अग्रणी श्रीवास्तव, शानवी श्रीवास्तव व डिंपल शामिल थी। हारमोनियम पर बैठे कमलाकांत के संगीत व गायन में तबले पर अनुभवी वादक द्वय पार्थप्रतिम मुखर्जी व राजीव शुक्ल थे। सितार पर डा.नवीन मिश्र और बांसुरी पर दीपेंद्र कुंवर ने सुरीली संगत की।
लखनऊ व बनारस संगीत घराने का प्रतिनिधित्व करने वाली पं.अर्जुन मिश्र की शिष्या मनीषा मिश्रा ने हरिवंश राय बच्चन की देशप्रेम के भावों और गोपालप्रसाद व्यास की स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान से भरी रचनाओं पर आधारित प्रस्तुति मंच पर रखी। अलख आजादी की शीर्षित इस सुंदर प्रस्तुति में जहां राष्ट्र के प्रति समर्पण की प्रेरणा छुपी हुई थी वहीं ओजस्वी स्वरों में राष्ट्रनिर्माण करते हुए कर्म पथ पर अग्रसर होने का संदेश भी उजागर हो रहा था। मंदीप शर्मा के आलेख में ओज और मधुरता से परिपूर्ण गायन पीयूष मिश्रा व मंजूषा मिश्रा का और पढंत मानसी प्रिया की रही, जबकि तबले पर ताल निर्देशक रविनाथ मिश्र के संग मास्टर आराध्य प्रवीन थे। बांसुरी पर दीपेन्द्र और सितार पर मंजूषा के संग मिलकर प्रस्तुति का संगीत तैयार करने वाले डा.नवीन मिश्र बैठे थे। कथक के गढ़ लखनऊ की कला संस्था नुपुरम के कलाकारों ने नृत्याचार्य पं.लच्छू महाराज की शिष्या डा.कुमकुम धर के नृत्य निर्देशन में मातृभूमि को नमन करते हुए ओज भरी संरचनाओं की प्रस्तुति नमामि मातृभमि को मंच पर उतारा। समृद्ध संस्कृति और धरोहरों से परिपूर्ण विश्व की प्राचीन सभ्यताओं मे से एक ऋषियों-मुनियों के संग देवभूमि कहलाने वाले अपने देश की अमर गाथा को मैथिलीशरण गुप्त की प्रसिद्ध काव्य रचना भारत भारती और बंकिमचन्द्र चटटोपाध्याय के रचे वंदे मातरम पर आधारित इस रचना में चारों नृत्यांगनाओं अदिति थपलियाल, अमीषा तिवारी, रजना शर्मा व रोशनी प्रसाद ने प्रमुख दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए राष्ट्र की कीर्ति को दिखाया। मातृभमि की माटी का गुणगान करती इस रचना में लहलहाते खेतों का जिक्र था तो मधुर भाषाओं के लालित्य की चर्चा भी। संरचना में ऐसे अनेक तथ्य कथक गतियों और भावों में उतरकर सामने आये। संरचना का सगीत एवं स्वर सुश्री संगीता कट्टी कुलकर्णी के थे तो तबले पर तजुर्बेकार अरुण भट्ट थे। काव्य पाठ डॉ.कुमकम धर ने किया, तकनीकी पक्ष में मिक्सिंग अरुणांश भट्ट की रही।