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मुस्लिम वामपंथ बनाम हिन्दू वामपंथ

मुस्लिम वामपंथ बनाम हिन्दू वामपंथ Internet Media


आप किसी भी मसले पर विरोध कर रहे मुस्लिम महिला प्रदर्शनकारी और हिंदू महिला प्रदर्शनकारियों को देखिए और दोनों में फर्क को आप समझिए

 यह वामपंथ कितने शातिर और कितने धूर्त होते हैं कि यह हिंदुओं को तो यह समझाने में कामयाब हो जाते हैं धर्म अफीम है धर्म खराब है धर्म नफरत फैलाता है

 लेकिन यह मुस्लिमों को कभी नहीं समझाते कि धर्म खराब है


 एक मुस्लिम भेष बदलकर वामपंथ में घुसता तोआप किसी भी मसले पर विरोध कर रहे मुस्लिम महिला प्रदर्शनकारी और हिंदू महिला प्रदर्शनकारियों को देखिए और दोनों में फर्क को आप समझिए

 यह वामपंथ कितने शातिर और कितने धूर्त होते हैं कि यह हिंदुओं को तो यह समझाने में कामयाब हो जाते हैं धर्म अफीम है धर्म खराब है धर्म नफरत है लाता है

 लेकिन यह मुस्लिमों को कभी नहीं समझाते कि धर्म खराब है

 एक मुस्लिम भेष बदलकर वामपंथ में घुसता तो है लेकिन वह सिर्फ हिंदुओं का ब्रेनवाश करने के लिए घुसता है.. लेकिन वह खुद कट्टर मुस्लिम बना रहता है..

 मैंने अली सरदार जाफरी की एक किताब पढ़ी थी जिसमें बंटवारे के पहले कम्युनिस्ट पार्टियों का मुंबई में सम्मेलन हुआ था और लाहौर और कराची से जो प्रतिनिधि आए थे उसमें अहमद फराज, फैज अहमद फैज थे और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने गुफ्तगू कर रहे अली सरदार जाफरी और कैफी आज़मी से पूछा किधर नमाज पढ़ने की जगह किधर है मुझे नमाज पढ़ना है तब वहां इकट्ठा हुए कई कम्युनिस्ट भौचक्के रह गए यह मुस्लिम कम्युनिस्ट हमें तो सेकुलर बना देते हैं हमें तो हिंदू धर्म से नफरत करना सिखा देते हैं लेकिन खुद एक पक्के मुस्लिम बने रहते हैं..

 और वह वीडियो भी आपने देखा होगा जेएनयू में वामपंथी छात्र संगठन रोजा इफ्तार का आयोजन किया था और शहला रशीद और उमर खालिद बकायदा रोजा इफ्तार कर रहे थे और बहुत से हिंदू वामपंथी रोजा इफ्तारी कर रहे थे ।

क्या वहां मौजूद हिंदू वामपंथीयो   ने एक पल को भी यह मन में नहीं सोचा आखिर यह वामपंथी छात्र संगठन कभी हिंदू त्यौहार पर किसी दावत का आयोजन क्यों नहीं करते और दूसरे मुसलमान वामपंथी उस आयोजन में क्यों नहीं शामिल होते?

सोचिए इस्लाम ने महिलाओं को क्या दिया है? उन्हें पैर की जूती बना दिया है पति जब चाहे तब तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे सकता है उसके मुंह पर मेहर की रकम फेंक कर भगा सकता है। जब चाहे तब चार और पत्नियां लाकर घर में बिठा सकता है। और दुनिया भर की पाबंदियां जैसे बुर्के में रहो हिजाब पहनो चारदीवारी में कैद रहो फैशन मत करो।

 और हिंदू धर्म यानी सनातन धर्म ने सदियों से महिलाओं को जो अधिकार जो हक दिया है वह कोई भी धर्म नहीं दे सकता। यहां तक कि ईसाई धर्म मानने वालों को भी चर्च के खिलाफ बगावत करना पड़ा तब जाकर ईसाई महिलाओं को कई अधिकार हासिल हुए जिनमें एक गर्भपात का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है।

 आप लोगों को याद होगा सात आठ साल पहले आयरलैंड में एक भारतीय मूल की महिला जिसका गर्भपात करना अत्यंत जरूरी हो गया था लेकिन क्योंकि उस वक्त आयरलैंड एक कट्टर कैथोलिक देश हुआ करता था इसलिए चर्च के दबाव में उस महिला की गर्भपात की इजाजत नहीं दी गई और वह महिला तड़प तड़प कर मर गई।

 उसके बाद आयरलैंड की महिलाओं ने जो विरोध किया और जो उन्होंने चर्च पर हमले किए उसके बाद आयरलैंड जैसा कट्टर कैथोलिक देश भी चर्च के दबाव से मुक्त हो गया और अब आयरलैंड की महिलाओं को भी वह सारे अधिकार हासिल हो गए हैं जो किसी हिंदू महिलाओं जो हिंदू धर्म ने महिलाओं को दिए हैं।

 कभी-कभी मैं सोचता हूं एक हिंदू वामपंथी लड़की जो फक हिंदू राष्ट्र या रेपिस्ट हिंदू राष्ट्र का बैनर लिए खड़ी रहती है या फिर एक हिंदू वामपंथी लड़का मैं सुतिया हूं क्योंकि हिंदू हूं का बैनर लिए खड़ा रहता है क्या वह अपने बगल में खड़े मुस्लिमों से प्रेरणा नहीं लेता कि जो बुर्के में और हिजाब में हैं और जो प्रदर्शन सिर्फ अपने धर्म के लिए कर रही हैं अपने देश के लिए नहीं

 साभार : Jitendra Pratap Singh